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म्यर झुल Loading...
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लेखन / संरचना / छवि : विद्या नाहरछायांकन : निराली नाहर
अनुवाद एवं कथावाचन : ममता त्रिपाठी
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www.vyayam.com www.balodyan.com www.vyanjan.usयौ म्यर झुल छू।
मैकु म्यर झुल भौत भल लागूँ ।
मैकु म्यर झुल भौत भल लागूँ ।
कभै मी
अपण झुल मै
बैठ बेर झुलूँ ,
अपण झुल मै
बैठ बेर झुलूँ ,
तो कभते
ठाड़ है बेर ।
ठाड़ है बेर ।
कभते मी अपण झुल बटि उल्ट लटक जाँ,
तो कभते झुल
दगड़ योग करूँ।
दगड़ योग करूँ।
कभते मी झुल
मै तिर्छ है बेर
आराम करूँ,
मै तिर्छ है बेर
आराम करूँ,
तो कभते
उमें किताब पढ़ूँ।
उमें किताब पढ़ूँ।