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चींटी और कबूतर

by Aditi Sharma

Pages 2 and 3 of 6

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एक बार कड़कती गर्मी में एक चींटी को बहुत प्यास लगी। वह पानी की तलाश में एक नदी किनारे पहुंच गई ।नदी में पानी पीने के लिए वह एक छोटी सी चट्टान पर चढ़ गयी और वहाँ से वह फिसल गई और फिसलते हुए नदी में जा गिरी। पानी का बहाव ज्यादा तेज़ होने से वह नदी में बहने लगी।
पास ही पेड़ पर एक कबूतर बैठा हुआ था। उसने चींटी को नदी में गिरते हुए देख लिया।
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कबूतर ने जल्दी से एक पत्ता तोड़ा और नदी में चींटी के पास फेंक दिया और चींटी उसपर चढ़ गई । कुछ देर बाद चींटी किनारे आ लगी और वह पत्ते से उतर कर सूखी धरा पर आ गई । उसने पेड़ की तरफ देखा और कबूतर को धन्यवाद दियाI
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एक दिन एक शिकारी जंगल में शिकार करने आया I कबूतर को देखकर शिकारी ने उस पर निशाना साधा I कबूतर पेड़ पर आराम कर रहा था और उसको शिकारी के आने का कोई अंदाजा नहीं था। चींटी ने शिकारी को देख लिया और जल्दी से पास जा कर उसके पॉंव पर जोर से काटा। चींटी के काटने पर शिकारी की चीख निकल गयी और कबूतर जाग गया और उड़ गया।
इस प्रकार चींटी ने उपकार का बदला चुका दिया I तत्पश्चात कबूतर और चींटी दोनों मित्र बन गएI
नैतिक शिक्षा: कर भला हो भला। अगर आप अच्छा करोगे तो आपके साथ भी अच्छा होगा।

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